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Showing posts from April, 2020

स्कूल के दिनों की बात है... नज़्म...मेरी कलम से... 28/mar/2019

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         *नज़्म* स्कूल के दिनों की बात है    स्कूल के दिनों की बात है जब हम स्कूली बच्चे थे पढ़ना , लिखना जानना , समझना खेल छोड़ स्कूल के लिये और पढ़ क्लास में यह भी एक प्रेसर जैसा था क्यूँकि स्कूल जाना वह खेल से इस्तीफा दे कर बड़ा मुश्किल-सा फैसला होता है जब खेलने वाले बच्चे से पढ़ने वाले बच्चे में तब्दील होते है तो थोड़ा समझना पढता है माहौल को और स्कूली स्वभाव को गर स्कूल का स्वभाव मन के भाव को भा जाता है तो खेल न टाइम और न ही ज्यादा खेल का मन होता है सब कुछ अच्छा होता है स्कूल में जब हम खुद स्कूली स्वभाव में अपने को मेहनती और ज्ञान के करीब पाते है तो तब हम स्कूली बच्चे बन जाते है | मेरी कलम से...  सुहैल अनवर  https://iamsuhailanwar.wordpress.com  

मिलकर ही कुछ गुफ्तगू करे ...नज़्म...मेरी कलम से... 27/mar/2019

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*नज़्म* मिलकर ही कुछ गुफ्तगू करे....  मिलकर ही कुछ गुफ्तगू करे या बात अधूरी ही रहने दें जैसे अक्सर अधूरी होती है वह बातें जिन बातों में प्यार बे-पनाह होता है फिर भी अक्सर रह ही जाती है अधूरी मुलाक़ातें , अधूरी बातें गुज़रते हुए दिन जाते हुए पल याद बहुत आते है बात गुज़र जाने के बाद सो चलो रहने देते है इस सफर में खुद को सफर रहे में रहे तो तन्हा ही होंगे गर मुकम्मल रहे सफर में तो साथ होंगे वह भी जो कभी साथ नहीं थे मिलकर ही कुछ गुफ्तगू करे या बात अधूरी ही रहने दें या बात अधूरी ही रहने दें | मेरी कलम से...  सुहैल अनवर https://iamsuhailanwar.wordpress.com  

यूँ हर दम ख़ामोशी ... मेरी कलम से... 27/mar/2019

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Yun Har Dum Khamoshi...  Yun Har Dum Hi Khamoshi Acchi Nahi Rehti Yun Har Dum Hi Khamosh Raho Lekin Kabhi-Kabhi Thodi Khush Mijaazi Bhi Rehni Chahiye . *** यूँ हर दम ख़ामोशी ...    यूँ हर दम ही ख़ामोशी अच्छी नहीं रहती यूँ हर दम ही खामोश रहो लेकिन कभी-कभी थोड़ी खुश मिजाज़ी भी रेहनी चाहिए | मेरी कलम से...  सुहैल अनवर  https://iamsuhailanwar.wordpress.com  

बातें समझ...मेरी कलम से... 27/mar/2019

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Baatein Hai Teri Kuch Ajeeb Si Par Bhi Aisi Hai Teri Har Ajeeb Si Baatein Bhi Niraali Hai Kuch Kuch Aise Jaise Ki Main Tujhe Samjhun Tu Mujhe Samjh . *** बातें है तेरी कुछ अजीब सी पर भी ऐसी है तेरी हर अजीब सी बातें भी निराली है कुछ कुछ ऐसे जैसे की मैं तुझे समझूँ तू मुझे समझ | मेरी कलम से...  सुहैल अनवर  https://iamsuhailanwar.wordpress.com  

आ कर मिला...मेरी कलम से... 16/mar/2019

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Aa Kar Mila Tum Se Mila Phir Bhi Adhoora Raha Na Jaane Kyun Tum Se Mila . *** आ कर मिला तुम से मिला फिर भी अधूरा रहा न जाने क्यूं तुम से मिला | मेरी कलम से...  सुहैल अनवर https;//iamsuhailanwar.wordpress.com

मेरी आँखों-सा...मेरी कलम से... 16/mar/2019

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Meri Aankhein Ne Dekha Hai Sapna Ajeeb-Sa Hai Kya Mukammal Hokar Hi Rahega Meri Aankhein Khulne Tak Ab Pata Lagta Nahi Hai Sapna Ajeeb-Sa Hai            *** मेरी आँखों ने देखा है सपना अजीब-सा है क्या मुकम्मल होकर ही रहेगा मेरी आँखें खुलने तक अब पता लगता नहीं है सपना अजीब-सा है | मेरी कलम से...  सुहैल अनवर  https://iamsuhailanwar.wordpress.com  

एक बार रात को...*नज़्म* 13/mar/2019

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*नज़्म* एक बार रात को एक बार रात को सोया हुआ था मैं तो बंद आँखों की दुनिया में खोया हुआ था मैं कुछ लोग है जो मेरे साथ है और कुछ खिलाफ है फिर होता किया है सपनों यानी बंद आँखों की दुनिया में खोया हुआ था मैं मैं असल ज़िन्दगी की तरह ही भाग रहा हूँ जैसे मेरे से किसी  रेस हो लगी जैसे असल दुनिया में है लगी रेस है शुरू दौड़ते है हम पर ऐसा लगता है जैसे कमज़ोर पड़ गए है हम भाग तो रहे मगर रेस के हारने का डर लगा हुआ है क्यूंकि हम तेज़ रफ्तार करते है तो लगता रफ्तार बढ़ ही नहीं रही जैसे असल दुनिया में नहीं बढ़ रही लगता है ऐसा उसी खाब में और चंद लम्हात में आँखें खुल ही जाती है मेरी जैसे असल दुनिया में चंद लम्हात में बंद हो जाती है आँखें ज़िन्दगी पूरी होते होते ही पर यह एक सपना है जो कह दिया सभी को एक बार रात को सोया हुआ था मैं सोया हुआ था मैं  | मेरी कलम से... सुहैल अनवर  https://iamsuhailanwar.wordpress.com