मिलकर ही कुछ गुफ्तगू करे ...नज़्म...मेरी कलम से... 27/mar/2019

*नज़्म*
मिलकर ही कुछ गुफ्तगू करे.... 

मिलकर ही कुछ गुफ्तगू करे
या बात अधूरी ही रहने दें

जैसे अक्सर अधूरी होती है
वह बातें जिन बातों में
प्यार बे-पनाह होता है

फिर भी अक्सर रह ही जाती है
अधूरी मुलाक़ातें , अधूरी बातें

गुज़रते हुए दिन
जाते हुए पल

याद बहुत आते है
बात गुज़र जाने के बाद

सो चलो रहने देते है
इस सफर में खुद को

सफर रहे में रहे तो तन्हा ही होंगे
गर मुकम्मल रहे सफर में

तो साथ होंगे वह भी
जो कभी साथ नहीं थे

मिलकर ही कुछ गुफ्तगू करे
या बात अधूरी ही रहने दें
या बात अधूरी ही रहने दें |

मेरी कलम से... 
सुहैल अनवर

https://iamsuhailanwar.wordpress.com 

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